ओडिशा का रशोगुल्ला (Rasagola of Odisha)

जिसे देखते ही मुंह में पानी आ जाए, वो है, “ओडिशा का रशोगुल्ला” इसकी उत्पत्ति का इतिहास आठ सौ साल पुराना है। भगवान जगन्नाथ को रशोगुल्ला भोग के रूप में अर्पण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है की १२वी शताब्दी से यह अद्भुत मिष्ठान्न, जगन्नाथ मंदिर में नीलाद्री बिजे के परंपरागत किए जाने वाले अनुष्ठानो का एक हिस्सा रहा है। नीलाद्री बिजे के पर्व के दौरान अपनी नौ दिवसीय रथयात्रा पूर्ण करने के पश्चात जब भगवान जगन्नाथ लौट कर आते है तो अपनी रूठी हुई पत्नी देवी लक्ष्मी को रशोगुल्ला खिलाकर मनाते हैं। अब प्रतिवर्ष यह दिन रशोगुल्ला दिवस के नाम से मनाया जाता है।

 

ओडिशा के सांस्कृतिक विस्तारकों का कहना है कि रशोगुल्ला का उल्लेख १५ वी शताब्दी में बलरामदास द्वारा लिखित, ओडिया रामायण में मिलता है। यह प्रसिद्ध ओडिया रामायण, डांडी रामायण या जगमोहन के नाम से भी जानी जाती है। अयोध्या काण्ड में छेना और उससे बनाए जाने वाले व्यंजनों का उल्लेख इसमें मिलता है।

 

एक अन्य प्रसिद्ध ओडिया लेखक, फकीर मोहन सेनापति ने १८९२ में “उत्कल भ्रामणम्” नामक लेख में ओडिशा में रशोगुल्ले के महत्व पर लिखा है। दामोदर पटनायक द्वारा लिखित कविता “बलियात्रा” में कटक में होने वाले ऐतिहासिक मेले में, रशोगुल्ले व अन्य मिष्ठान्नों के अद्भुत प्रदर्शन और सजावट का आंखों देखा वर्णन किया गया है।

 

ओडिशा का रशोगुल्ला चिर प्रतीक्षा के बाद २०१९ में भौगोलिक सांकेतिक टैग (जी आई) से सम्मानित किया गया, जिसे प्राप्त करने के लिए उसे पश्चिम बंगाल के साथ एक कड़ी और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी क्योंकि यह राज्य भी रशोगुल्ला के लिए उतना ही प्रसिद्ध है। ओडिशा के रशोगुल्ले में एक अलग किस्म की खासियत है, ये बहुत नर्म, रसभरे और मुंह में घुल जाने वाले होते हैं।

 

एक विशेष प्रक्रिया द्वारा शक्कर का कर्मेलीकरण करके रशोगुल्लों को सफेद या भूरा रंग दिया जाता है। भूरा रंग इन्हे चाशनी के माध्यम से दिया जाता है और यह इन्हें अनूठा स्वाद प्रदान करता है। ओडिशा राज्य के पहला और सालेपुर नामक स्थान इस रसभरे मिष्ठान के लिए सुप्रसिद्ध हैं।

 

इस रसभरे मिष्ठान का भगवान जगन्नाथ के साथ जो घनिष्ठ संबंध है, वह हर एक को, संजोए रखनेवाला दिव्य अनुभव प्रदान करता है।

 

लेखिका: लक्ष्मी सुब्रह्मणियन (https://sahasa.in/2020/09/08/odisha-rasagola/)

हिंदी अनुवाद: गीता खन्ना बल्से

 

* तस्वीरें केवल प्रतीकात्मक हैं (सार्वजनिक डोमेन / इंटरनेट से ली गई हैं। अनजाने में हुए कापिराइट नियमों के उल्लंघन के लिए खेद है।)

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