उत्तराखंड राज्य के नैनीताल, चमोली, टेहरी, बागेश्वर, अल्मोरा, पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में करीब १००० से २००० मीटर की ऊंचाई पर नम और छायादार स्थानों पर उगाए जाने वाले सुगंधित तेजपत्ता सन २०१६ में भौगोलिक सांकेतिक टैग (जी आई) प्राप्त करने का अधिकारी हुआ। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध तेजपत्ता मीठी... Continue Reading →
ओडिशा का रशोगुल्ला (Rasagola of Odisha)
जिसे देखते ही मुंह में पानी आ जाए, वो है, "ओडिशा का रशोगुल्ला" इसकी उत्पत्ति का इतिहास आठ सौ साल पुराना है। भगवान जगन्नाथ को रशोगुल्ला भोग के रूप में अर्पण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है की १२वी शताब्दी से यह अद्भुत मिष्ठान्न, जगन्नाथ मंदिर में नीलाद्री बिजे... Continue Reading →
भागलपुरी जर्दालू आम (Bhagalpuri Zardalu Mango, Bihar)
हालांकि भागलपुर के जर्दालू आम का उल्लेख भारत की उच्च कोटि की आम की श्रेणियों जैसे: दशहरी, लंगड़ा, हापुज में कहीं नहीं पाया जाता, परंतु इस सौंधी खुशबू वाले आम को अब धीरे धीरे वह पहचान मिल रही है, जिसका यह अधिकारी है। असल में, जर्दालू आम का अपना रोचक इतिहास है, कहा जाता है... Continue Reading →
महाराष्ट्र का लासलगाव प्याज़ (Lasalgaon Onion, Maharashtra)
नाशिक जिले के निफाड तालुक में स्थित लासलगाव न केवल भारत अपितु समस्त एशिया में प्याज का सबसे बड़ा बाज़ार है। कई लोगों को इस बात का पता ही नहीं होगा कि महाराष्ट्र देश में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है। प्रसिध्द लासलगाव प्याज़ जिसे लाल निफाड या नाशिक प्याज के नाम से भी जाना... Continue Reading →
आसाम की तेज़पुर लीची (Tezpur Litchi of Assam)
पूर्वोत्तर राज्य आसाम के बारे में शायद बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि यह राज्य जैविक विविधता, विभिन्न वनस्पतियों और जीव जंतुओं से समृद्ध राज्य है। आसाम अपनी उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों, बांस के बगीचों, राष्ट्रीय उद्यानों साथ ही विभिन्न प्रकार की स्थानीय खेती और फलों के उत्पादन के लिए भी जाना जाता... Continue Reading →
त्रिपुरा की क्वीन पाइनएप्पल (Tripura Queen Pineapple)
ऐसा माना जाता है कि अप्रतिम सुन्दरता से परिपूर्ण पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा का नाम वहां की देवी त्रिपुरसुंदरी के नाम पर पड़ा है। हालांकि १८०० से १९०० के आरम्भ के दशक में त्रिपुरा राज्य अपनी सुगंधित चाय के लिए सुप्रसिद्ध था, परन्तु आज इसने अपनी सार्वभौमिक पहचान उष्कटिबंधीय फल और सब्जियों की विस्तृत श्रृंखला के... Continue Reading →
मणिपुर का कचि नींबू (Kachai Lemon, Manipur)
आमतौर पर "मणिपुर का गौरव" नाम से प्रसिद्ध, वहां का अनोखा "कचि चंपरा" या कचि नींबू , उत्तरपूर्व के मणिपुर राज्य के ऊखरूल जिले के सुदूर गांव कचि में पाया जाता है। यह गांव नींबुओं का सबसे बड़ा उत्पादक है, परन्तु इस नींबू में ऐसी क्या खासियत है? इसका कारण है वहां की उपोषणकटीबंधिय... Continue Reading →
कंधमाल हल्दी (Kandhamal Haladi, Odisha)
ओडिशा राज्य के दक्षिणी मध्य भाग में बसा कंधमालअपनी सुगंध से भरपूर हल्दी के लिए प्रसिद्ध है। इस स्थान पर हल्दी आदिवासियों द्वारा सदियों से उगाई जा रही है। यहां का लगभग साठ से सत्तर प्रतिशत क्षेत्र पहाड़ी है और घने जंगलों से ढका हुआ है। जलवायु के हिसाब से, हल्दी के अलावा यह... Continue Reading →
श्रीविल्लिपुत्तूर का पालखोवा (Srivilliputtur Palkova, Virudhunagar District, Tamil Nadu)
श्रीविल्लिपुत्तूर ना केवल आण्डाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि दूध से बनी एक खास मिठाई के लिए भी प्रसिद्ध है जिसे स्थानीय भाषा में पालखोवा कहते है। तमिल भाषा में 'पाल' का अर्थ होता है 'दूध'। यह केवल गाय का दूध और शक्कर के मिश्रण से बनाई जाती है। स्थानीय निवासियों का कहना है... Continue Reading →
कोविलपट्टी की कडलै मिठाई (Kovilpatti Kadalai Mittai, Tamil Nadu)
१९४० के दशक में पोनाम्बला नादर नामक, एक समृद्ध किराने की दुकान के मालिक ने, परंपरागत तरीके से बनाई जाने वाली खजूर के गुड़ और मूंगफली की कडलै मिठाई को एक नया रूप देने के लिए गन्ने के गुड़ और मूंगफली से बनाने का निश्चय किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि दशकों से कोविलपट्टी... Continue Reading →
गुजरात का भलिया गेहूं (Bhalia Wheat, Gujarat)
गुजरात के स्थानीय निवासियों का मानना है कि भाल नामक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उगाए जाने वाले गेहूं का नाम संस्कृत के शब्द भाल के ऊपर पड़ा है, जिसका अर्थ है 'मस्तक', ऐसा इसलिए है क्योकि यह क्षेत्र भी मस्तक के समान सपाट दिखता है। यह सुनने में अजीब लगता है, परन्तु वास्तव में... Continue Reading →
तेलंगाना की निर्मल शिल्प कला (Nirmal Toys and Craft, Telangana)
निर्मल शिल्प कला का नाम आंध्र प्रदेश - तेलंगाना के सुविख्यात शासक नेम्मा नायडू के नाम पर पड़ा है जो कि विविध कलाओं के महान संरक्षक थे। खिलौने बनाने की बारीकियों और शिल्प कौशल को देखकर उन्होंने इस कला को प्रोत्साहित किया। उनके राज्य में यह उद्योग खूब पनपा और इसने तेलंगाना राज्य के निर्मल... Continue Reading →
वाराणसी के खिलौने (Varanasi Wooden Lacquerware and Toys, Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर बहुत वर्षों तक भारत के सबसे बड़े खिलौने उद्योग के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध रहा। माना जाता है कि इस प्राचीन कारीगरी को ना केवल अपने समय के राजाओं बल्कि मुगलों और ब्रिटिश शासकों द्वारा भी संरक्षण प्राप्त हुआ था। इस कारीगरी का प्रादुर्भाव कब और कैसे हुआ इस... Continue Reading →
उत्तर प्रदेश का कालानमक चावल (Kalanamak Rice, Uttar Pradesh)
"कालानमक" जी हां, ये चावल की एक खास किस्म का नाम है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में उपजाया जाता है। इसके ऊपर की भूसी काले रंग की होती है और साथ में नमक प्रत्यय क्यों जोड़ा यह तो हमारे पूर्वज बताने के लिए हैं नहीं। बहरहाल, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बेहद... Continue Reading →
आंध्र प्रदेश के ऐटिकोप्पका खिलौने (Etikoppaka Toys, Andhra Pradesh)
लकड़ी के पारंपरिक ऐटीकोप्पका खिलौने बनाने की कला, जो लक्कपिडातालू नाम से प्रचलित है, करीबन ४०० साल से अधिक पुरानी है। वराह नदी के तट पर बसा ये छोटा सा प्राचीन गांव लाख से मढे लकड़ी के खिलौनों के लिए प्रसिद्ध है। खिलौने बनाने की यह कला टर्न्ड लकड़ी लाह के नाम से भी जानी जाती... Continue Reading →
मेरठ कैंची- ३५० साल पुराना घरेलू उद्योग – (Meerut Scissors, Uttar Pradesh)
मेरठ में कैंची निर्माण ३५० वर्ष पुराना घरेलू उद्योग है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां अखुंजी नाम का एक लुहार रहता था, जिसने मुगल काल के दौरान सन १६ ४५ में, चमडा काटने के लिय दो तलवारों को मिलाकर भारत में निर्मित कैंची की पहली जोड़ी का निर्माण किया था। कैंची निर्माण,... Continue Reading →
बिहार का गोविंद भोग और कटारनी चावल (Govind Bhog Rice and Katarni Rice of Bihar)
बिहार का सुप्रसिद्ध चावल “गोविंद भोग” जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, भगवान गोविंदा का भोग बनाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली मुख्य सामग्री है। बिहार के कैमूर ज़िले में इसकी खेती किए जाने के पीछे एक बड़ा ही रोचक इतिहास है। मोकरी गाँव जो कि कैमूर जिले की... Continue Reading →
Sangli Turmeric of Maharashtra
Sangli located in the western part of Maharashtra is considered to be the largest and most important trading centre for turmeric in Asia. Popularly known as the 'Saffron City', Sangli has been cultivating its world-famous turmeric since the 1900s. It is said that large quantities of Sangli turmeric used to be exported through the Rajapur... Continue Reading →
Hatu Mata Mandir, Narkanda, Himachal Pradesh
Hatu Peak at a staggering elevation of 11,152 feet (3400 metres) is the highest peak in Shimla district in Himachal Pradesh. A narrow treacherous single road, a little away from Narkanda passing through dense forests of deodar, fir, spruce, blue pine and others on one side and a dizzying fall into a valley below leads... Continue Reading →
Bijli Mahadev Temple, Kullu, Himachal Pradesh
Bijli Mahadev temple is one of the most ancient and sacred temples in the spectacular Kullu Valley in Dev Bhoomi Himachal Pradesh. This temple is seated at an altitude of 2,460 metres and an arduous trek of 7 – 8 km through a scenic Cedar forest leads you to this divine place that offers a... Continue Reading →
Aadi Brahma Temple and Aadi Purkha Temple, Himachal Pradesh
The breathtaking Kullu Valley flanked by Dhauladhar and Pir Panjal ranges of the Lesser Himalayan mountains on either side is referred to as the Valley of Gods or Eden of Apple. This historical place was called as Kulantapitha meaning end of the habitable world and is held in high esteem in the ancient texts of Brahmanda... Continue Reading →
Ajara Ghansal Rice, Ajara Taluka, Kolhapur District, Maharashtra
Scented rice has always been a prized possession in regional economies since the days of yore. Different varieties of indigenous scented rice have been cultivated in different parts of India since ancient times. Both Charaka and Sushruta have extolled the medicinal values of fragrant rice in their respective treatise. Ajara Ghansal rice grown in... Continue Reading →
Hathei Chilli of Manipur
Hathei chilli or umoruk as it is called in the local dialect is considered to be God's gift and the pride of Ukhrul for the people of Sirarakhong. This special chilli along with the seven other organically grown varieties of chilli in Manipur have been cultivated for generations. Hathei chilli thrives only in the Mahadev... Continue Reading →
Parashuram Kund, Lohit District, Arunachal Pradesh
Parshuram kund located in Lohit district on the banks of the lower level of Lohit River (a tributary of the Brahmaputra River) is one of the most sacrosanct places not only in Arunachal Pradesh but also in India. This holy place finds mention in Srimad Bhagavata Mahapurana and is dedicated to Parashurama, the sixth avatar... Continue Reading →