मणिपुर का कचि नींबू (Kachai Lemon, Manipur)

आमतौर पर “मणिपुर का गौरव” नाम से प्रसिद्ध, वहां का अनोखा “कचि चंपरा” या कचि नींबू , उत्तरपूर्व के मणिपुर राज्य के ऊखरूल जिले के सुदूर गांव कचि में पाया जाता है। यह गांव नींबुओं का सबसे बड़ा उत्पादक है, परन्तु इस नींबू में ऐसी क्या खासियत है?

 

इसका कारण है वहां की उपोषणकटीबंधिय जलवायु के साथ दिन में उमस और रात में ठंडक का होना। तापमान १९ डिग्री से २१ डिग्री के बीच में रहता है, और दिसंबर और जनवरी के महीनों में कोहरा छाया रहता है जो सुबह दस बजे तक नहीं छटता। इसी खासियत की वजह से नींबू को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है और अच्छी उपज के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी भी प्राप्त होती है। हालांकि इस क्षेत्र को सालाना १३०० से लेकर १५०० मिली मीटर तक कि वर्षा प्राप्त होती है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सर्दियों में यहां पानी का मिलना दुर्लभ हो जाता है, तब ये घना कोहरा नींबुओं के लिए अमृत का काम करता है।

 

निश्चित रूप से मौसम, जैविक खेती तकनीक और उत्कृष्ट किस्म की मिट्टी कचि नींबू को दूसरे नींबुओं की तुलना में विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। कचि नींबू में ऐस्कॉर्बिक एसिड की मात्रा ५१ प्रतिशत होती है (जो कि खट्टे किस्म के किसी भी उत्पाद में सबसे अधिक मानी जाती है) जबकि दूसरे किस्म के नींबुओं में यह केवल ३५-४० प्रतिशत ही होती है। इनमें रस की मात्रा भी बहुत अधिक होती है – ३६-५६ मिली लीटर प्रति नींबू। फलदार नींबू का यह देशी पेड़ जब फूलों से भरा होता है तो अत्यधिक सुन्दर और लुभावना लगता है।

 

ऊखरूल जिले के सभी किसान मुख्यत: नींबू की खेती में ही लगे है, यही उनकी आय का मुख्य स्रोत है। प्रतिवर्ष ऊखरूल जिले की ८४० हेक्टेयर भूमि से ५७० मीट्रिक टन नींबुओं की पैदावार होती है। जैविक रूप से उगाए गए इन नींबुओं को अपनी विशिष्टता के कारण सन २०१४ में भौगोलिक संकेत टैग (जी आई) से सम्मानित किया गया।

 

कचि लेमन फेस्टिवल प्रतिवर्ष जनवरी के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है, ताकि घरेलू और निर्यात बाज़ार में इसकी लोकप्रियता बढ़े और इसकी उच्च गुणवत्ता को अच्छा मूल्य और स्थान प्राप्त हो सके साथ ही किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर भी प्राप्त हो सकें। यह फेस्टिवल वैज्ञानिकों, विषेशज्ञों और संभावित खरीदारों के साथ बातचीत के उचित अवसर भी प्रदान करता है।

 

कचि नींबू की उच्च कोटि की गुणवत्ता तथा इसका स्वाद ही इसकी ताकत साबित हुए है। सेनापति, ऊखरूल और कचि के आसपास के गांव भी नींबू के बागानों को पूरे ज़ोर शोर के साथ बढ़ावा दे रहे हैं।

 

अधिक से अधिक लोगों का जैविक खेती में बढ़ता रुझान और ५०० से लेकर ३००० नींबुओं के बागानों को वाणिज्य के उद्देश्य से लगाने का उद्यम अप्रतिम रूप से उत्पादकता को बढ़ाने वाला होगा, जबकि पहले, घर के पिछवाड़े में ३०-६० नींबू पेड़ ही थे।

 

कचि नींबू उच्च उत्पादकता वाला और आर्थिक मूल्य दिलवाने वाली उपज है। इसका स्वादिष्ट फल को फल के रूप में या अचार, रस और स्क्वाश के रूप में भी सेवन किया जाता है। खट्टे फल विटामिन सी, विटामिन ए और फॉलिक एसिड के अच्छे स्रोत होते है तथा रेशेदार होते हैं। ताज़े कचि नींबू को कमरे के तापमान में कई दिनों तथा फ्रिज में कई हफ्तों के लिए रखा जा सकता है। इसका ताजा रस भी कई हफ्तों तक फ्रिज में रखा जा सकता है।

 

अब कचि नींबू का प्रयोग करके कई विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाई जा रही है, जैसे कि इसके छिलके और रस से पेक्टिन एसिड और ऐस्कॉर्बिक एसिड निकला जाता है जिसमें कई औषधीय और उपचारात्मक गुण होते हैं।

 

लेखिका: लक्ष्मी सुब्रह्मणियन (https://sahasa.in/2020/10/12/kachai-lemon-of-manipur/)

 

हिंदी अनुवाद: गीता खन्ना बल्से

 

* तस्वीरें केवल प्रतीकात्मक हैं (सार्वजनिक डोमेन / इंटरनेट से ली गई हैं। अनजाने में हुए कापिराइट नियमों के उल्लंघन के लिए खेद है।)

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Create a website or blog at WordPress.com

Up ↑

%d bloggers like this: