उत्तराखण्ड तेजपत्ता (Tejpat of Uttarakhand)

उत्तराखंड राज्य के नैनीताल, चमोली, टेहरी, बागेश्वर, अल्मोरा, पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में करीब १००० से २००० मीटर की ऊंचाई पर नम और छायादार स्थानों पर उगाए जाने वाले सुगंधित तेजपत्ता सन २०१६ में भौगोलिक सांकेतिक टैग (जी आई) प्राप्त करने का अधिकारी हुआ।

 

राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध तेजपत्ता मीठी तेजता के नाम से भी जाना जाता है। इसमें काफी बड़ी मात्रा में सिनमाल्डीहाएड नामक सक्रिय घटक पाया जाता है, इसलिए, आयुर्वेद तथा अन्य चिकित्सा पद्धतियों में इसका औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।

 

सुगंधित तेजपत्ते का प्रयोग पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विभिन्न पाक व्यंजनों को खास सुगंध देने के लिए किया जाता है। इनका तेल भी निकाला जाता है और ऐसा मानते हैं की यह एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। पत्तियां और पेड़ की छाल दोनों ही औषधि बनाने के काम आती हैं क्योंकि सुगंधित तेल इन पत्तियों में मिलाकर सौंदर्य प्रसाधन तैयार किए जाते हैं।

 

इसके अलावा इन पत्तियों में पोटेशियम, कॉपर, कैल्शियम, सेलेनियम तथा आयरन के कई महत्वपूर्ण लवण तत्व पाए जाते हैं। तेजपत्ते में उपचारात्मक गुण होने के कारण इसे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में औषधि के रूप में मधुमेह के उपचार के लिए दिया जाता है क्योंकि यह रक्त में बढ़े ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल तथा ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में सहायक होता है। तेजपत्ते का उपयोग कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज और निवारक के रूप में भी किया जाता है।

 

वर्तमान समय में, उत्तराखंड का तेजपत्ता बहुत बड़ी मात्रा में, पंजाब, दिल्ली, मुंबई तथा भारत के अन्य भागों और विदेशो में भी बिकता है। यहां की जलवायु, मिट्टी और पानी तेजपत्ते की खेती के लिए अनुकूल हैं, यही कारण है कि जो किसान सुगंधित मसालों की खेती में लगे हैं वो इनकी खेत्ती में आज भी रसायनिक उर्वरक का इस्तेमाल न के बराबर करते हुए पारंपरिक जैविक रीति से ही इनकी खेती करते हैं ताकि तेजपत्ते का वास्तविक स्वाद, सुगंध और गुणवत्ता बरकरार रहे।

 

लेखिका: लक्ष्मी सुब्रह्मणियन (https://sahasa.in/2020/09/07/uttarakhand-tejpat/)

हिंदी अनुवाद: गीता खन्ना बल्से

 

* तस्वीरें केवल प्रतीकात्मक हैं (सार्वजनिक डोमेन / इंटरनेट से ली गई हैं। अनजाने में हुए कापिराइट नियमों के उल्लंघन के लिए खेद है।)

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